उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे मजदूरों का रेस्क्यू जारी, जानें- किस परिस्थिति में रह रहे अंदर
निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों का रेस्क्यू लगातार जारी है. वहीं डॉक्टरों ने मजदूरों के शारीरिक फिटनेस परीक्षण के साथ ही मनोवैज्ञानिक परीक्षण का सुझाव दिया है.
उत्तराखंड में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने के कारण बीते छह दिनों से 40 मजदूर उसके अंदर फंसे हुए हैं. जिन्हें बचाने के लिए NHIDCL, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ के लोग लगातार रेस्क्यू के काम में लगे हुए हैं. वहीं युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है.
फिलहाल टनल के अंदर फंसे मजदूरों को बचाने के लिए नॉर्वे और थाईलैंड की विशेष टीमों की भी मदद ली जा रही है. भारतीय रेस्क्यू टीम ने थाईलैंड की उस रेस्क्यू कंपनी से संपर्क किया है, जिसने थाईलैंड की गुफा में फंसे बच्चों को बाहर निकाला था. रेस्क्यू के लिए भारी ऑगर मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिसके जरिए तेजी से ड्रिल करते हुए 24 मीटर अंदर तक पहुंच चुकी है. इंदौर से एक और मशीन एयरलिफ्ट कर रहे हैं, जो कल सुबह यहां पहुंचेगी.
मजदूरों तक पहुंच रही जरुरी चीजें
मिल रही जानकारी के अनुसार निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 270 मीटर अंदर अचानक भूस्खलन होने से करीब 30 मीटर का हिस्सा ढह गया था. जिसके कारण वहां काम कर रहे 40 श्रमिक उसमें फंस गए. फिलहाल उन तक साफ हवा और खाना पहुंचाया जा रहा है. टनल में फंसे मजदूर सुरक्षित बताए जा रहे हैं. जिन तक पाइप के जरिए लगातार ऑक्सीजन, पानी और खाद्य सामग्री पहुंचाई जा रही है.
70 मीटर तक बिछानी होगी पाइप
एक अनुमान के मुताबिक टनल के अंदर मलबा हटाने के बाद करीब 70 मीटर पाइप बिछानी होगी और फिर मजदूरों को निकालने की प्रक्रिया शुरू होगी. वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार सुरंग में किए जा रहे रेस्क्यू पर नजर बनाए हुए हैं. दूसरी ओर नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में ‘इंटरनल मेडिसिन’ विभाग के निदेशक डॉ. अजय अग्रवाल ने बताया कि श्रमिकों को बाहर निकाले जाने के बाद उनकी शारीरिक फिटनेस की जांच करने के साथ ही उन्हें मनोवैज्ञानिक परीक्षण और परामर्श से गुजरना होगा.
शारीरिक और मनोवैज्ञानिक टेस्ट के सुझाव
उनका कहना है कि लंबे समय तक बंद स्थानों में फंसे रहने के कारण व्यक्तियों को घबराहट के दौरे पड़ सकते हैं. ऐसे में जमीन के नीचे इतने लंबे समय तक फंसे रहने के कारण मजदूरों को हाइपोथर्मिया हो सकता है. जिसके कारण उन्हें इलाज की सख्त जरूरत होगी. दूसरी ओर इस घटना के कारण उनकी मानसिक हालत को भी काफी नुकसान पहुंचने की आशंका है. ऐसे में उनका शारीरिक फिटनेस परीक्षण के साथ ही मनोवैज्ञानिक परीक्षण करना जरूरी होगा.