Friday, March 14, 2025
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भगवान सूर्य का सपरिवार मंदिर बिहार के इस शहर में है स्थापित, शालिग्राम पत्थर से बनी है अद्भुत प्रतिमा

बिहार के इस शहर में भगवान सूर्य का सपरिवार मंदिर है स्थापित, शालिग्राम पत्थर से बनी है अद्भुत प्रतिमा

लोक आस्था का महापर्व छठ पर्व में गया के ब्राह्मणी घाट पर छठ व्रतियों की काफी भीड़ होती है. ब्राह्मणी घाट में भगवान सूर्य की आदमकद प्रतिमा पूरे बिहार में इकलौता है.

शहर के अंत सलिला फल्गु नदी के किनारे स्थित ब्राह्मणी घाट पर भगवान सूर्य (Bhagwan Sury) की आदमकद प्रतिमा पूरे बिहार में इकलौता है. सबसे अद्वितीय शालिग्राम पत्थर से 7 फीट की ऊंची प्रतिमा स्थापित है, जहां भगवान सूर्य के दोनों किनारे उनके पुत्र शनि, यम तथा पत्नी संज्ञा, सारथी अरुण, 7 घोड़े और एक चक्के पर विराजमान प्रतिमा स्थापित है. सूर्य मंदिर का प्राचीन इतिहास है. चार हजार वर्ष पुरानी स्थापित प्रतिमा है.

प्रथम सत युग काल में गयासुर द्वारा स्थापना की गई थी. कालांतर में अन्य लोगों तथा मान सिंह आदि राजाओं व जमींदारों के द्वारा जीर्णोधार का कार्य कराया गया था.

छठ व्रतियों की जुटती है काफी भीड़

लोक आस्था का महापर्व छठ पर्व में ब्राह्मणी घाट पर छठ व्रतियों की काफी भीड़ होती है. यहां पर स्थित सूर्य मंदिर के पुजारी मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि शास्त्रो में वर्णित है कि गयासुर के द्वारा यह प्रतिमा स्थापित की गई थी तो वहीं मंदिर को भगवान ब्रह्मा ने इसका निर्माण कराया था. बिहार का यह पहला सूर्य मंदिर है जहां भगवान सूर्य का सपरिवार के साथ प्रतिमा स्थापित है, लेकिन बिहार सरकार या जिला प्रशासन के द्वारा रख रखाव, मंदिर का विकास आदि जो व्यवस्थाएं होनी चाहिए थी वह नगण्य हैं. गया में तीनों पहर का सूर्य का अर्घ्य दिया जाता है.

भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का है खास महत्व

मानपुर में प्रातः कालीन, ब्राह्मणी घाट में मध्यकालीन पहर और सूर्यकुण्ड में संध्याकालीन पहर में भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. कहा जाता है कि दर्शन मात्र से निसंतान व चर्मरोग से मुक्ति और मनचाहे फल की प्राप्ति होती है. बता दें कि शुक्रवार को ’नहाय-खाय’ के अनुष्ठान के साथ चार दिवसीय लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ प्रारंभ हो गया. पर्व के तीसरे दिन रविवार को छठव्रती विभिन्न जलाषयों में पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे. पर्व के चौथे और अंतिम दिन सोमवार को उदीयमान सूर्य के अर्घ्य देने के बाद ही व्रतधारियों का व्रत समाप्त हो जाएगा.

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