उत्तराखंड के सुरंग में जिंदगी और मौत से लड़ रहा बांका का एक मजदूर, परिजन कर रहे दुआ
बांका का रहने वाला वीरेंद्र किस्कू पोकलेन चलाने का काम करता था. वह हादसे के बाद से सुरंग में ही है. राहत बचाव का कार्य जारी है.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 12 नवंबर की सुबह यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग के धंसने से उसमें काम कर रहे 40 मजदूर फंस गए हैं. इसमें बांका का रहने वाला एक मजदूर भी जिंदगी और मौत से लड़ रहा है. कटोरिया प्रखंड के जयपुर थाना क्षेत्र के तेतरिया गांव के रहने वाले सेवानिवृत्त सरकारी कर्मी मुनिलाल किस्कू एवं जीविका दीदी सुषमा हेंब्रम का पुत्र वीरेंद्र किस्कू पोकलेन चलाने का काम करता था. वह हादसे के बाद से सुरंग में ही है. परिवार के लोग दुआ कर रहे हैं.
हादसे की खबर मिलते ही परिजनों की बढ़ी बेचैनी
इस हादसे के बाद से परिजन सदमे में हैं. परिजनों के साथ-साथ ग्रामीण भी वीरेंद्र किस्कू के सकुशल बाहर आने की कामना कर रहे हैं. वीरेंद्र किस्कू के सुरंग में फंसने की खबर मिलते ही परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. पिता मुनिलाल किस्कू ने बताया कि दो पुत्र में से वीरेंद्र सबसे छोटा था. वहां पर रहकर पोकलेन चलाने का काम करता था. अचानक वहां से खबर आई कि उनका बेटा सुरंग के अंदर फंस गया है. इसके बाद से हम लोगों में बेचैनी बढ़ गई है.
परिजनों और ग्रामीणों ने सुरंग के अंदर फंसे वीरेंद्र किस्कू को सकुशल बाहर निकालने के लिए सरकार और प्रशासन से मांग की है. वीरेंद्र के घर वाले और गांव वाले ईश्वर से लगातार प्रार्थना कर रहे हैं कि वीरेंद्र किस्कू सुरंग से सकुशल बाहर आ जाए.
हादसे के बाद से राहत-बचाव कार्य जारी
बता दें कि टनल में फंसे सभी 40 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए राहत-बचाव का कार्य जारी है. दिल्ली से बुधवार (15 नवंबर) को एयरफोर्स के तीन विशेष विमान से भारी ऑगर मशीन लाई गई. इन मशीनों की मदद से प्रति घंटे 5 मीटर मलबा निकाला जाएगा. मलबे को भेदकर स्टील पाइप को दूसरी तरफ पहुंचाया जा सकेगा. ड्रिलिंग कर मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिश की जाएगी.