बीजेपी की यह रणनीति ‘मिशन-80’ को देगी ताकत, अखिलेश-मायावती को लिए खड़ी हो सकती है मुश्किलें
बीजेपी का मानना है कि लोकसभा चुनाव में सभी 80 सीटें जितने का लक्ष्य अनुसूचित जाति वर्ग के 50 फीसदी वोट प्राप्त किए बिना हासिल नहीं किया जा सकता.
भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले क्षेत्रवार अनुसूचित जातियों को जोड़ने का अभियान चलाएगी. पहले चरण में अक्टूबर में सभी छह संगठनात्मक क्षेत्रों अनुसूचित जाति सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे. साल 2024 में अनुसूचित जातियों को अपने साथ लाने की कवायद में बीजेपी सम्मेलन करेगी.
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 17 सीटें आरक्षित हैं और इनमें से नगीना व लालगंज बसपा के पास है. वहीं बुलंदशहर, हाथरस, आगरा, शाहजहांपुर, हरदोई, मिश्रिख, मोहनलालगंज, इटावा, जालौन, कौशांबी, बाराबंकी, बहराइच, बासगांव, मछलीशहर और राबर्ट्सगंज बीजेपी गठबंधन के पास हैं. वहीं विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी गठबंधन ने अनुसूचित जाति के 86 उम्मीदवारों को मैदान उतारा था. इस तरह आरक्षित से ज्यादा सीटों पर अनुसूचित जातियों को मौका दिया. इनमें से 63 उम्मीदवार चुनाव जीते थे. पार्टी का मानना है कि लोकसभा चुनाव में सभी 80 सीटें जितने का लक्ष्य अनुसूचित जाति वर्ग के 50 फीसदी वोट प्राप्त किए बिना हासिल नहीं किया जा सकता.
बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद पार्टी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अनुसूचित जातियों के बीच जनाधार बढ़ाने के लिए मिशन मोड पर काम शुरु किया है. पार्टी में अवध, काशी, गोरखपुर, कानपुर-बुंदेलखंड, पश्चिम और ब्रज क्षेत्र में करीब एक एक लाख अनुसूचित जातियों के सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. इस संबंध में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने पिछले दिनों वाराणसी में काशी क्षेत्र की और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने हापुड़ में पश्चिम क्षेत्र की बैठक की थी.
इस अभियान से पार्टी का फोकस बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने पर रहेगा. इसके लिए पार्टी के अनसुजित जातियों के नेताओं और मंत्रियों को कमान सौंपी गई है. पश्चिम क्षेत्र में जाटव, धोबी और खटीक समाज को जोड़ने पर जोर रहेगा. अवध में पासी और कोरी समाज के घर-घर दस्तक दी जाएगी. बुंदेलखंड में कोरी और धोबी और पूर्वांचल में सोनकर, पासवान, पासी और जाटव समाज को जोड़ने की रणनीति बनाई गई है.