गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ साहित्य महोत्सव , जिसमें साहित्य एवं भाषा के प्रतिष्ठित हस्तियों का उद्बोधन छात्रों एवं शिक्षकों को सुनने का मौका मिला।
कार्यकम का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित एवं बुके,स्मृति चिन्ह तथा पौधा भेट करके हुआ जिसमें प्रो० रविन्द्र कुमार सिन्हा (कुलपति, जीबीयू), मुख्य अतिथि प्रो० रजनीश शुक्ल (कुलपति, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा) , डॉ० विश्वास त्रिपाठी (कुलसचिव, जीबीयू), प्रो० बंदना पाण्डेय (डीन, मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग,जीबीयू) , डॉ० ओम प्रकाश (विभागाध्यक्ष, भारतीय भाषा एवं साहित्य विभाग) की उपस्थिति रही।
उद्घाटन सत्र का शुभारंभ प्रो० बंदना पाण्डेय के संबोधन के साथ हुआ जिसमें उन्होंने कहा साहित्य महोत्सव को मनाना अपने आप में एक सुखद अनुभव है एवं साहित्य समाज का दर्पण है। अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने साहित्य एवं पत्रकारिता के सम्बन्ध पर भी प्रकाश डाला ।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो० रजनीश शुक्ल (कुलपति, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा) अपने उद्वोधन के दौरान साहित्य एवं उसकी विशेषताओं पर चर्चा की । उन्होंने कहा कि साहित्य , संगीत और कला को हटा दिया जाए तो इंसान , पशु के समान ही है तथा लोकतंत्र की प्राण वायु भी साहित्य से आती है ।
प्रो० रविन्द्र कुमार सिन्हा (कुलपति, जीबीयू) ने अपने अध्यक्षयी अभिवाचन मे कहा की किसी भी क्षेत्र में भाषा एवं साहित्य महत्वपूर्ण हैं और इसकी समझ जरूरी हैं । उन्होंने साहित्य के योगदान पर चर्चा करते हुए कहा कि साहित्य को पढ़ने से मनुष्य को आनंद की भी प्राप्ति होती है ।
डॉ० विश्वास त्रिपाठी (कुलसचिव, जीबीयू) ने भाषण के दौरान कहा कि साहित्य वो है जो जनकल्याण की बात करे । साहित्या , समाज को एक सूत्र में बांधने का कार्य करता है । वे कहते है कि समाज की समस्याओं का समाधान भी साहित्य में निहित है ।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो० संजय द्विवेदी ने अपने भाषण में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा की संवेदनशील बनो , लोगों से मिलो , समाज को समझो एवं गांव को देखो तथा ग्रामीण जीवन को जानो। वर्तमान समय में मोबाईल फोन की लत लोगों को अपने जाल में लपेट रही है , जिसपर उन्होंने चिंता भी जताई।
धन्यवाद ज्ञापन ,डॉ० ओम प्रकाश (विभागाध्यक्ष, भारतीय भाषा एवं साहित्य विभाग) द्वारा दिया गया। इस दौरान उन्होंने साहित्य महोत्सव के आयोजन का उद्देश्य भी बताया। उन्होंने कहा कि छात्रों को यह जरुर पता होना चाहिए की हमारी ज्ञान परंपरा क्या है।
2002 के उत्तर प्रदेश अधिनियम (9) द्वारा स्थापित गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ने अगस्त 2008 में ग्रेटर नोएडा में अपने 511 एकड़ के हरे भरे परिसर में अपना पहला शैक्षणिक सत्र शुरू किया। विश्वविद्यालय पूरी तरह से न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) द्वारा वित्त पोषित है। और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीएनआईडीए), उत्तर प्रदेश सरकार के उपक्रम । विश्वविद्यालय यूजीसी अधिनियम के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त है और भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ का सदस्य है। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय को भारत के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा F.9-18/2009 (CRP-I) दिनांक 13 मई 2009 द्वारा UGC अधिनियम 1956 की धारा 2 (f) के तहत मान्यता प्राप्त है।