दिल्ली ब्यूरो
नई दिल्ली | केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष सरकार ने युवाओं से भारतीय ज्ञान प्रणाली की आवाज बनने की अपील की है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारतीय राजस्व सेवा की पूर्व अधिकारी सरोज बाला की पुस्तक “महाभारत की कहानी विज्ञान की जुबानी”के अनावरण के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ सरकार ने कहा कि बहुत से लोग भारतीय धर्म ग्रंथों वेदों शास्त्रों की वैज्ञानिकता को लेकर के सवाल खड़ा करते रहे हैं। वैज्ञानिकता की कसौटी पर खरा न उतरने का दावा करते हुए उन्होंने कई बार इन धर्म ग्रंथ और महाकाव्यों को ठुकराने की कोशिश की है। परंतु आज मुझे विश्वास है कि जिस तरह से सरोज बाला जी ने वैज्ञानिक प्रमाणों, तर्को, तथ्यों के जरिए महाभारत में वर्णित घटनाओं को वैज्ञानिक आधार अपनी पुस्तक ने दिया है वह सवाल खड़ा करने वालों के सभी सवालों का जवाब दे देगी।
महाभारत कोई ग्रंथ नहीं है इसमें इतिहास, राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र, खगोल शास्त्र,भौतिक शास्त्र जैसे कई शास्त्रों का समावेश है और उसके वैज्ञानिक प्रमाण भी मिलते हैं। महाभारत में हमें पूर्ण न्याय और शिक्षा का ज्ञान मिलता है। जैसे कि रात में युद्ध न करना आज के समय इस तरह नैतिक नियमों का पालन कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं का गठन करना पड़ा यह अलग बात है किस के बाद भी वह इन्हें नैतिक नियमों का पूर्णतया पालन करवाने में सक्षम नहीं है परंतु ऐसी सोच आज से वर्षों पहले हमारे पूर्वजों के सोच में रही थी। इसी तरह किसी निहत्थे पर हमला ना करना। यह कुछ ऐसे उदाहरण है जिससे हमें उस वक्त के हमारे पूर्वजों के पूर्ण विकसित अवस्था का आभास देते हैं। आज जब हम आजादी का अमृत काल मना रहे हैं ऐसे समय में हमें अपनी इतिहास अपनी परंपरा अपनी संस्कृति का ज्ञान होना और अधिक आवश्यक है। यही सारे तत्व हमारी नई शिक्षा नीति का आधार भी है। इस शिक्षा नीति में शोध और प्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए बहुत सारे प्रयास किए गए हैं। प्राचीन और आधुनिक के समन्वय से ही विकास की पूर्णता को पाया जा सकता है। प्राची ज्ञान को युवा पीढ़ी के बीच लाने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपने प्राचीन ग्रंथों का उचित और सटीक अनुवाद भारतीय भाषाओं में प्रस्तुत करें जिससे कि आमजन भी इसका लाभ उठा सकें।
डॉक्टर सरकार ने कहा कि जिस तरह से अमृत मंथन के समय जब अमृत निकला तो देव और दानव सभी उसको लेने के लिए लालायित हो गए लेकिन देवताओं ने एक दूसरे को बांटते हुए अमृत को अंतिम छोर तक पहुंचा दिया उसी तरह से हमें सरोज जी की इस पुस्तक को विभिन्न माध्यमों जैसे यूट्यूब अखबारों में समीक्षा पुस्तक के बारे में चर्चा आदि आयोजित करके इसे आम जन तक पहुंचाना चाहिए।