मध्यप्रदेश के भोपाल में एक जल शोधन संयंत्र में सिलेंडर से क्लोरीन गैस के रिसाव की चपेट में आकर सात लोग बीमार हो गए। इस घटना से मध्य प्रदेश के राजधानी भोपाल में 1984 में हुई भयानक गैस त्रासदी की यादें ताजा हो गईं। बताया जा रहा है की मदर इंडिया कॉलोनी में गैस फैलने से हड़कप मंच गया। सूचना के बाद मौके पर जिला प्रशासन और पुलिस भी पहुंच गई। नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि पानी की टंकी में क्लोरीन की मात्रा ज्यादा होने से गैस बनी और फैल गई। लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने की दिक्कत होने लगी। लोगों को ज्यादा दिक्कत हेने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया। कॉलोनी में नाले के किनारे रहने वाले 70 से ज्यादा परिवारों को शिफ्ट करना पड़ा। ज्यादातर लोग आज सुबह घरों को लौटे। खाली घरों में चोरी न हो जाए, इसलिए रातभर पुलिस तैनात रही। इलाके में ड्यूटी कर रहे शाहजहांनाबाद TI सौरभ पांडे की तबीयत रात में बिगड़ गई। उन्हें प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ होने पर 10 से ज्यादा लोगों को हमीदिया में भर्ती कराया गया है। क्लोरीन गैस सिलेंडर से लीक हुई। पहले इसके टैंक से रिसने की बात सामने आई थी। गैस हवा में न फैले, इसलिए सिलेंडर को पानी में डाला गया। यही पानी बस्ती में नाले के जरिए पहुंच गया और गंभीर हालात बन गए।
भोपाल में 1984 में हुई भयानक गैस त्रासदी की यादें ताजा हो गईं
स्थानीय निवासियों ने बताया कि गैस रिसाव के बाद कुछ लोगों को दुर्गंध के साथ सांस लेने में तकलीफ, खांसी और उल्टी की शिकायत होने लगी। मिश्रा ने कहा कि रिसाव का पता चलने के बाद सिलेंडर को जल शोधन संयंत्र की पानी की टंकी में डुबो दिया गया। उन्होंने कहा कि संयंत्र में खराबी को ठीक कर लिया गया है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि गैस रिसाव के बाद कुछ लोगों को दुर्गंध के साथ सांस लेने में तकलीफ, खांसी और उल्टी की शिकायत होने लगी। आपको बता दे की 1984 में दो और तीन दिसंबर की दरमियानी रात भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकली जहरीली गैस में हजारों लोग मारे गए और पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे। यह कारखाना अब बंद हो चुका है।