रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद के बीच आज कहा कि भारत ने कभी किसी देश को नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं की है, लेकिन अगर कोई उस पर बुरी नजर डालने का प्रयास करता है, तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। रक्षा मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सीमाओं पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है और भारत सभी तरह की चुनौतियों से निपटने को तैयार है। उन्होंने कहा कि हमारा देश एक शांतिप्रिय देश है। हमने किसी भी देश को चोट पहुंचाने की कोशिश नहीं की, लेकिन अगर देश में शांति और सद्भाव को भंग करने या खतरे में डालने का कोई प्रयास कोई भी करेगा तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। इस दौरान उन्होंने सशस्त्र बलों को मजबूत करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धिता को भी व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को स्वदेशी अत्याधुनिक हथियारों से लैस करके सुरक्षा तंत्र को मजबूत करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। हमारे स्वाधीनता सेनानियों और बहादुर सैनिकों के आदर्शों एवं संकल्पों को आगे बढ़ाना प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है। देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। सशस्त्र बल के जवान क्षेत्र, धर्म, जाति और भाषा की बाधाओं से ऊपर उठकर निस्वार्थ भाव से राष्ट्र की सेवा करते हैं। वे देश और लोगों को विभिन्न प्रकार के खतरों से बचाते हैं। ऐसे में प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और सैनिकों के आदर्शों और संकल्पों को आगे ले जाए। हमारे देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करे और एक मजबूत, समृद्ध और आत्मनिर्भर ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण में अपनी भूमिका निभाए।
सशस्त्र बलों के जवानों को दी श्रद्धांजलि
राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर स्वतंत्रता सेनानियों और सशस्त्र बलों के जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए सिंह ने कहा, ‘हमें एक मजबूत, समृद्ध और आत्मनिर्भर ‘नये भारत’ के निर्माण में अपनी भूमिका निभानी है।’ रक्षा मंत्री ने शहीदों के परिवार के सदस्यों की सहायता करने को राष्ट्रीय जिम्मेदारी करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मियों के परिजनों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने परिवार को किसी सैनिक की सबसे बड़ी ताकत और आधार स्तंभ बताया और कहा कि सरकार इसे मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। उन्होंने बताया कि गृह मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, ‘भारत के वीर’ नाम का कोष शुरू किया गया था, जो केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के जवानों और कर्मियों के परिवारों की सहायता करने के उद्देश्य से लिए गए उनके प्रमुख निर्णयों में से एक था।