अब किरदारों का चुनने का क्या पैमाना हो गया है?
स्क्रिप्ट पसंद आनी चाहिए, किरदार पसंद आना चाहिए और क्या मैसेज जा रहा है… ये जरूर है। इसके साथ ही टीम क्या है, कौन बना रहा है और किन के साथ में मैं करने जा रही हूं।
माधुरी दीक्षित और पल्लवी (मजा मा में माधुरी का किरदार) में क्या कुछ कॉमन या अनकॉमन है?
पल्लवी और मेरे में काफी कुछ कॉमन है, वो भी एक मां है, बेटी है, पत्नी है और मैं भी ये सब हूं। इसके अलावा पल्लवी की एक अलग कहानी है, जिसे आप जल्दी ही देख पाएंगे।
सिनेमा को बदलते देखा है? अब अच्छा लगता है या पुराना दौर अच्छा था?
पहले न इंडस्ट्री बहुत अव्यवस्थित थी, लेकिन फिर भी हमने अच्छी फिल्में बनाईं और टाइम पर पूरी कीं। कुछ ऐसी भी फिल्म रहीं, जो सात साल लगे बनने में। आज इंडस्ट्री बहुत ऑर्गेनाइज्ड है तो अब एक्टर्स के लिए बेस्ट टाइम है। अब सब कुछ लिखा है, लाइन्स से लेकर कपड़े, बाल आदि सब कुछ। अब सिर्फ एक्टर को जाना है और एक्टिंग करनी है। हालांकि अब प्रमोशन और ये सब करना पड़ता है, इंस्टाग्राम आदि है, ये सब टीडीएस हैं, लेकिन काम ही हिस्सा है।
आपका अपना पसंदीदा किरदार कौन है?
हम आपके हैं कौन, ये फिल्म करने में भी मजा आया और उसके बाद भी। जो निशा का किरदार है, वो जैसी मैं हूं उसके बहुत करीब आता है।
आपको कौन इंस्पायर करता है?
मुझे मेरी मां इंस्पायर करती हैं, चार बच्चों के बाद भी उन्होंने बीए और एमए किया। जब मैंने काम शुरू किया तो उन्होंने हमेशा सपोर्ट किया और मेरा साथ दिया। जो भी क्रिटिसिज्म आता था, उसके लिए हमेशा समझाती थीं कि कल को सब अच्छा होगा तो यही सब अच्छा बोलेंगे। तो मेरे लिए सबसे बड़ी इंस्परेशन मेरी मां हैं।
‘दे फेम गेम’ के अनामिका से खुद को कितना कनेक्ट करती हैं?
ऊपर वाले के आशीर्वाद से मेरी जिंदगी अच्छी रही है, किस्मत से कभी ऐसा कुछ हुआ नहीं है। मुझे लगता है कि मैंने सही फैसले लिए, जैसे शादी का, जो मुझे लगा मैंने किया। मुझे लगता है कि हर फैसला मैंने लिया, और जरूरी नहीं कि सब सही हो, लेकिन मेरे साथ मम्मी पापा का आशीर्वाद रहा तो कोई तकलीफ नहीं आई।